अंतर्राष्ट्रीय संबंध
वैश्वीकरण समाज के कई क्षेत्रों को प्रभावित करता है। उच्च शिक्षा भी इसका अपवाद नहीं है। दुनिया भर के विश्वविद्यालय विभिन्न तरीकों से भूमंडलीकरण द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करते हैं।
विश्वविद्यालय कैंपस का अंतर्राष्ट्रीयकरण इसकी प्रतिक्रिया है।
विश्वविद्यालय, समाज में उपलब्ध ज्ञान के पारंपरिक स्रोत का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे एक ऐसा वातावरण प्रदान करते हैं जो विचारों, कौशल और आविष्कारों अर्थात् ज्ञान के सभी घटकों का सृजन करते हैं। विश्वविद्यालयों को निरंतर समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप दबाव का सामना करना पड़ता है, हालाँकि परिवर्तन के समय का सामना करने की उनकी शक्ति ही विश्वविद्यालय को अद्वितीय बनाती है, और वे लंबे समय तक प्रमुख ज्ञान प्रदाताओं के रूप में उभरते हैं।
कभी भौगोलिक रूप से एक भौतिक स्थान से बंधे हुए कैम्पसों के पास अब राज्यों, क्षेत्रों और अंतर्राष्ट्रीय स्थानों के बीच विस्तार करने और नेटवर्क बनाने का अवसर है। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी प्रोफेसरों और छात्रों को जानकारी की ऐसी दुनिया में प्रवेश करने में सक्षम करती है जो पहले केवल उच्च लागत और काफी समय लगाने पर उपलब्ध थी। सतत शिक्षा की तलाश करने वाली जनसंख्या की शिक्षा की अभिलाषा, विश्वविद्यालय में भावी परिवर्तन का समर्थन करती है। इन ताकतों ने विश्वविद्यालय की संरचना को तीन प्रकार से बदलना जारी रखा है, जिसमें प्रशासन की संरचना में परिवर्तन, कैंपस नेटवर्क का विस्तार और विश्वविद्यालय की सामुदायिक भागीदारी में वृद्धि शामिल है।
दिल्ली विश्वविद्यालय लंबे समय से एक बड़े अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक समुदाय में अपनी भूमिका से परिचित है और इसे निभाते हुए, विश्वविद्यालय सहयोगी कार्यक्रमों, शोध नेटवर्क, छात्र आदान-प्रदान के लिए विश्व के विभिन्न हिस्सों में सहयोगी संस्थानों तक पहुंच रहा है।