दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स
स्वतंत्रता के तुरंत बाद, प्रोफेसर वी. के. आर. वी. राव के नेतृत्व और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समर्थन से दूरदर्शी व्यक्तियों के एक समूह ने सामाजिक विज्ञान में, विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्तर का और एक स्वतंत्र उपमहाद्वीप के योग्य उन्नत शिक्षण और शोध का एक केंद्र बनाने का निश्चय किया। इस प्रकार 1948 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ट्रस्ट के केंद्र के रूप में इसकी परिकल्पना की गई और जवाहरलाल नेहरू इसके पहले अध्यक्ष बने और 1949 में, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स का वास्तविक कामकाज शुरू हुआ। यह केंद्र आज तक भी अर्थशास्त्र, भूगोल और समाजशास्त्र में उन्नत प्रशिक्षण और शोध के लिए दक्षिण एशिया का अग्रणी केंद्र बना हुआ है।
इसके निर्माण का प्रारंभिक आवेग भारत और अन्य नए स्वतंत्र विकासशील देशों में योजना और नीति-निर्माण की चुनौतियों से उभरा था और स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों ने शीघ्र ही एक विस्तृत फलक को समेट लिया। 1950 के दशक से अर्थशास्त्र विभाग के कार्यक्रम के भाग के रूप में वाणिज्य, व्यवसाय प्रबंधन, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी और आर्थिक प्रशासन के पाठ्यक्रम आयोजित किए गए थे। भूगोल और समाजशास्त्र विभाग 1959 में स्थापित हुआ था। पुनर्गठन यहाँ एक सतत प्रक्रिया रही है। प्रबंधन अध्ययन ने, 1967 में प्रोफेसर ए. दासगुप्ता के नेतृत्व में एक स्वतंत्र संकाय का दर्जा प्राप्त किया। उसी वर्ष वाणिज्य एक पूर्ण विभाग बना और 1993 से एक अलग संकाय बना। वर्तमान में, इस स्कूल में अर्थशास्त्र, भूगोल और समाजशास्त्र विभाग शामिल हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के अंग हैं। अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र विभाग में उन्नत अध्ययन के केंद्र भी हैं, अपने संबंधित विषयों के सबसे पहले विभागों में शामिल होने के कारण इन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है। तीनों विभागों के शिक्षण और शोध, बदलती सामाजिक और अनुशासनात्मक चिंताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए विगत वर्षों में विकसित हुए हैं।
Prof. Pami Dua
Director
Delhi School of Economics
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